कितने ही झूठ की बैसाखी बना लो,
कितने ही झूठ की बैसाखी बना लो,
असल के पांव न बना पाओगे।
चलोगे लड़खड़ा कर ही,
सच का विश्वास कैसे पाओगे।
श्याम सांवरा…..
कितने ही झूठ की बैसाखी बना लो,
असल के पांव न बना पाओगे।
चलोगे लड़खड़ा कर ही,
सच का विश्वास कैसे पाओगे।
श्याम सांवरा…..