जनतंत्र में
भोग रहा जनतंत्र में, निर्धन कष्ट अनेक
खाने से फ़ुरसत मिले, नेता इनको देख
जन्म लिया फुटपाथ पर, संकट मिले हरेक
उभरते रहे मृत्यु तक, हाय रे! दुःख अनेक
कितने मारे ठण्ड ने, मेरे शम्भूनाथ
उत्तर सभ्य समाज से, मांग रहा फुटपाथ
भोग रहा जनतंत्र में, निर्धन कष्ट अनेक
खाने से फ़ुरसत मिले, नेता इनको देख
जन्म लिया फुटपाथ पर, संकट मिले हरेक
उभरते रहे मृत्यु तक, हाय रे! दुःख अनेक
कितने मारे ठण्ड ने, मेरे शम्भूनाथ
उत्तर सभ्य समाज से, मांग रहा फुटपाथ