Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jun 2024 · 1 min read

कितने अच्छे भाव है ना, करूणा, दया, समर्पण और साथ देना। पर जब

कितने अच्छे भाव है ना, करूणा, दया, समर्पण और साथ देना। पर जब आपके इन भावों के अतिरेक का, फायदा उठाया जाने लगे, तब भी क्या योग्य है सामने वाला? यदि ऐसा बार-बार हो रहा हो, तब विचारणीय है। किसका, कितना और कब तक, साथ देना है। कही साथ देते देते, आपका अस्तित्व ही खतरें में न आ जाए?

1 Like · 173 Views

You may also like these posts

हम उस पीढ़ी के लोग है
हम उस पीढ़ी के लोग है
Indu Singh
सच तो लकड़ी का महत्व होता हैं।
सच तो लकड़ी का महत्व होता हैं।
Neeraj Agarwal
चॉकलेट
चॉकलेट
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
बेचारी माँ
बेचारी माँ
Shaily
सुविचार
सुविचार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कुण्डलिया छंद
कुण्डलिया छंद
sushil sharma
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
जब कोई महिला किसी के सामने पूर्णतया नग्न हो जाए तो समझिए वह
Rj Anand Prajapati
इश्क के कई जहाजों सहित.. डूब के किनारे पर आए हैं हम...!!
इश्क के कई जहाजों सहित.. डूब के किनारे पर आए हैं हम...!!
Ravi Betulwala
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
अपने ग़मों को लेकर कहीं और न जाया जाए।
Harminder Kaur
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
जीवन दर्शन मेरी नज़र से. .
Satya Prakash Sharma
तन्हा -तन्हा
तन्हा -तन्हा
Surinder blackpen
बरक्कत
बरक्कत
Awadhesh Singh
मेरा समय
मेरा समय
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
4931.*पूर्णिका*
4931.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संवेदनशीलता
संवेदनशीलता
Rajesh Kumar Kaurav
आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
आचार्य शुक्ल के उच्च काव्य-लक्षण
कवि रमेशराज
स्वर
स्वर
डॉ.सतगुरु प्रेमी
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
गुफ्तगू तुझसे करनी बहुत ज़रूरी है ।
Phool gufran
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
प्रेम उतना ही करो जिसमे हृदय खुश रहे मांस्तिष्क को मानसिक पी
पूर्वार्थ
आध्यात्मिक जीवन का अर्थ है कि हम अपने शरीर विचार भावना से पर
आध्यात्मिक जीवन का अर्थ है कि हम अपने शरीर विचार भावना से पर
Ravikesh Jha
क्षितिज
क्षितिज
Dr. Kishan tandon kranti
बदरी..!
बदरी..!
Suryakant Dwivedi
कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
कोशिश मेरी बेकार नहीं जायेगी कभी
gurudeenverma198
वादा
वादा
Bodhisatva kastooriya
चला गया
चला गया
Rajender Kumar Miraaj
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अध्यात्म चिंतन
अध्यात्म चिंतन
डॉ० रोहित कौशिक
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
मुझे तो मेरी फितरत पे नाज है
नेताम आर सी
#लघुवृत्तांत
#लघुवृत्तांत
*प्रणय*
Loading...