कितनी खास हो तुम
कैसे बताऊँ
मेरे लिए कितनी खास हो तुम
वो, जिसका सुबह का स्पर्श
पूरे दिन को सुखमय कर दे
वो ओस में भीगी , हरी मुलायम घास हो तुम
कैसे बताऊँ
मेरे लिए कितनी खास हो तुम।
वो, जिसे कोरे पन्ने पर उकेरकर
मैं शायर बन जाऊं
मेरे दिल के वो अनकहे अल्फाज हो तुम
कैसे बताऊँ
मेरे लिए कितनी खास हो तुम।
रिश्ता…….बस यूं समझ लो
माँ से दूर रहने पर भी
उसके साथ होने का एहसास हो तुम
कैसे बताऊँ
मेरे लिए कितनी खास हो तुम❣️❣️