कितनी आसानी से कह दिया
कितनी आसानी से कह दिया
कितनी आसानी से कह दिया
क्या वाकई इतना आसान था सब ।
नहीं बिलकुल नहीं
मेरा मन भी यह स्वीकार नहीं करता।।
बहुत तकलीफ से गुजरा होगा तुम्हारा भी मन,
रखा होगा सीने पर तुमने भी पत्थर।
छुपाए होंगे बंद पलकों में तुमने भी आंसू,
मुमकिन नहीं था यही सोच बस ख़ामोश हो गए।
कितना हंसते खिलखिलाते हैं ना हम भी तुम भी
मानो कुछ हुआ ही नहीं और,
जहां भर की खुशियां हमारे हिस्से रही।
पर इस खिलखिलाहट के पीछे दबी वो सिसकी,
बार बार कहती है आखिर कब तक मैं यूं कैद रहूं।
क्यों नहीं मुझको तुम आजाद कर देते ,
क्यों नहीं हकीकत से तुम रूबरू होते।
काश इतना आसान होता ये सब।
जितनी आसानी से कह दिया था तुमने।।
आखिर क्यों इतनी आसानी से कह दिया तुमने?