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19 Jun 2018 · 1 min read

कितना प्यार करती हूँ तुमको –आर के रस्तोगी

कितना प्यार करती हूँ तुमको
शायद तुम ये जानते नहीं
दूर रहकर भी कितने पास हूँ
क्यों तुम ये मानते नहीं ?

तुम मेरे सूर्य देव हो,मै किरण हूँ तुम्हारी
दिन निकलते ही साथ चलती हूँ तुम्हारे
सुबह जो सुनते हो पक्षियों की चहचहाट
मै ही तो गुनगुनाती हूँ कान में तुम्हारे

उपवन में जो तुम देखते हो कलियाँ
आगमन पर बनती हूँ फूल लिये तुम्हारे
बंद रक्खा था जब साथ सोये थे मेरे
आजाद किया था तुम्हे उठते तुम्हारे

सुबह जो सूंघते है वो गंध हे मेरी
सुबह जो चलती है वायु तो मेरी
मंद समीर के झोके जब चलते
आँखे मूँद लेती हूँ चलते चलते

ऊपर से गिरी है जब बूँद एक नीचे
समझ न लेना ये बादल वाली बूंदे
होते है वे मेरे प्यार के आँसू
जो टपकते है बनकर प्यार की बूंदे

होते हो जब दोपहर गगन बीच तुम
चारो तरफ अग्नि फैलाते हो तुम
उसको और कुछ समझना ना तुम
वह प्यार की अग्न है लगाते हो तुम

शाम को जब पश्चिम में अस्त हो तुम
साथ में ही तो छिप जाते हम और तुम
इसका दूसरा अर्थ निकाले न ये दुनिया
दिन की थकान मिटाते हम और तुम

आर के रस्तोगी
मो 9971006425

Language: Hindi
243 Views
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