कितना पानी क्या करोगी
ईतना पानी क्या करोगी
मेरे आंखों का पानी काफी हैं
सेहरा को तर कर जाने के लिए
उम्मीदों का सूरज गहरा है
सपनों का दीपक बुझाने के लिए।
वो इम्तहाँ ही क्या मेरी जान
जिसे मेरा पता मालूम नही
बैठी हूँ बस हिम्मत कर के
हर इम्तहाँ में अब्बल आने के लिए !
… सिद्धार्थ