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27 Jan 2022 · 1 min read

कितना नादान है आदमी

कितना नादान है आदमी
*******************
कितना नादान है आदमी,
मंदिर में शंख घंटे बजाता है।
सोया हुआ वह स्वयं है,
वह भगवान को जगाता है।।

भूखे को रोटी नही दे सकता,
मंदिर में छप्पन भोग लगता है।
अंधेरा उसके खुद दिल में है,
मंदिर में जाकर दीए जलाता है।।

आदमी भिखारी खुद बना है,
भगवान से मांगने जाता है।
मंदिर के बाहर जो बैठे हुए है,
उन्हे वह भिखारी समझता है।।

आदमी कितना नादान है,
शिव पर वह जल चढ़ाता है।
गंगा तो उसकी जटाओं में है,
फिर भी वह जल चढ़ाता है।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 489 Views
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