कितना टूटा हूँ भीतर से तुमको क्या बतलाऊँ मैं,
कितना टूटा हूँ भीतर से तुमको क्या बतलाऊँ मैं,
मेरी मुस्कानों ने तुमको भी धोखा दे डाला देखो।
अश्क़ बस्तरी
कितना टूटा हूँ भीतर से तुमको क्या बतलाऊँ मैं,
मेरी मुस्कानों ने तुमको भी धोखा दे डाला देखो।
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