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27 Jun 2021 · 1 min read

कितना गुरूर है तेरे अबोध भक्तों को !

कितना गुरूर है तेरे अबोध भक्तों को !
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

हे ईश्वर ! हे ईश्वर !!
कितना गुरूर है
तेरे अबोध भक्तों को
तू ही अब उसे
कुछ समझाओ ना !!

दिन-रात तेरी
पूजा-अर्चना करते
फल-फूल, नैवेद्य
अर्पित करते
चरणों में तेरे
सर्वस्व अर्पण करते
फिर भी नेत्र उनके
नहीं कभी खुलते !!

हे ईश्वर! हे ईश्वर !!
तू ही अब उसे….

यहाॅं तो तेरी वंदना
में कितने लीन रहते
और बाहर निकल कर
लड़ते – झगड़ते रहते !
प्रसाद तेरी पूजा का पाकर
भी उन्हें सही राह नहीं मिलते !!

कृपा अपनी बरसाओ….
कुछ रास्ता उन्हें दिखाओ….
राहों में बिछे काॅंटे को हटाकर
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाओ
अज्ञानी को ज्ञान दिलाओ
उसी ज्ञान के दिव्य प्रकाश से
जगमग होगा तेरे भक्तों का घर बार
स्पष्ट दिखने लगेगा उन्हें सारा संसार
तभी समझ पाएंगे वे जीवन का सार !
हर मानव कर पाएंगे मानव से प्यार !!

इसीलिए कहते हैं हम सब कि
हे ईश्वर ! हे ईश्वर !!
कर दो तुम कुछ चमत्कार
दे दो हम सबको एक ऐसा उपहार
जो बदल दे सबका ही व्यवहार
आपस की बैर, दुश्मनी को भुलाकर
सभी बहाते चलें दोस्ती की बयार
दे दो सबको प्रसाद रूपी पुरस्कार
कर दो अपने सभी भक्तों का उद्धार !
कर दो अपने सभी भक्तों का उद्धार !!

स्वरचित एवं मौलिक ।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : २७/०६/२०२१.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 745 Views
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