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11 Jul 2024 · 1 min read

कितना करता जीव यह ,

कितना करता जीव यह ,
साँसों पर अभिमान ।
मुट्ठी भर अवशेष हैं,
जीव तेरी पहचान ।।

सुशील सरना / 11-7-24

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