कितना आसान हो गया है धार्मिक भावनाएं आहत होना या करना ! यह स
कितना आसान हो गया है धार्मिक भावनाएं आहत होना या करना ! यह सब तब होता है जब आप खुद सही गलत का निर्णय नहीं लेते । आप उस भीड़ का हिस्सा बनना चाहते है जो किसी विशेष प्रोपोगेंडा के तहत चलाया जा रहा हो ।