Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2019 · 3 min read

काश…….

बीना और कुमुद देवरानी जिठानी थी। दोनों में बहनों जैसा स्नेह था । दोनों की शादी में मात्र एक साल का अंतर था । अब दोनों ही गर्भवती थीं। अपने साथ साथ एक दूसरे का भी खूब ध्या न रखती थीं। सवसे पहले जिठानी की डिलीवरी हुई उसके बेटा हुआ था। पूरे घर में खुशी की लहर फैल गई। बीना भी बहुत खुश थी। खूब जश्न मनाये गये । नामकरण संस्कार धूमधाम से हुआ । नाम भी बीना ने रखा कान्हा ।
तीन महीने बाद बीना को लड़की हुई। सबने कहा लष्मी आई है । सब खुश भी हुए पर वो खुशी बीना को नज़र नहीं आई । नामकरण भी हुआ । नाम उसका भी बीना ने रखा मिष्ठी। पर वैसा नहीं जो जिठानी की बार में थी। जिठानी भी बच्चे की परवरिश में व्यस्त रहती थी कुछ थकान कमजोरी…. वो भी बहुत उत्साहित नहीं दिखी। बस यहीं से थोड़ी2 दरार आनी शुरू हो गई। बीना कटी कटी सी रहने लगी।
उधर कुमुद को भी शायद अपने बेटे को इतना प्यार पाते देख कुछ घमंड सा होने लगा । दोनों बच्चे बड़े होने लगे। ज्यादा लाड़ प्यार के चक्कर मे कान्हा ज़िद्दी होने लगा। अपनी मनमानी करने लगा। मिष्ठी को भी मार देता था। बीना मिष्ठी को उससे दूर रखने लगी।ज्यादातर कमरे में ही बन्द रखती। घर के लोग बीना से ही चिढ़ने लगे। कुमुद भी अब बीना से कम ही बात करती।
कुमुद का बेटे की माँ होने का गर्व बढ़ता जा रहा था । इस लाड़ के चक्कर मे कान्हा पढ़ाई से भी भागने लगा । किसी की भी नहीं सुनता था। सर पटक पटक कर ज़िद मनवा कर ही मानता। इधर मिष्ठी पढ़ाई में उससे आगे रहती। ये देखकर कुमुद कहती ‘क्या हुआ इसे तो दूसरे घर जाना है। बेटा तो जीवन भर यहीं रहेगा हमारी सेवा करेगा। खानदानी बिजनेस है सम्भाल लेगा। ‘
ऐसे ही ज़िन्दगी चलती रही।धीरे धीरे बिजनेस का भी बंटवारा हो गया । आधा बीना के पति के हिस्से में आधा कुमुद के। कान्हा बारवीं भी पास न कर सका और पिता के साथ व्यापार देखने लगा। उधर मिष्ठी वकालत पास करके ज्यूडिशरी की परीक्षा भी पास कर गई।
फ़िरं उसने अपने साथ पढ़ने वाले लड़के से ही सबकी रजामंदी से ब्याह भी कर लिया। मिष्ठी बहुत मधुर व्यवहार की लड़की थी। जल्द ही ससुराल वालों का दिल भी जीत लिया।
उधर कान्हा एक तरह से आवारा हो चुका था। उसकी दोस्तमण्डली पैसों वाली पर आवारा दोस्तों से थी।उसने भी एक लड़की से जिसका परिवार उनके स्तर का नहीं था उसने शादी करने की ज़िद ठान ली। लड़की भी नाम की बी ए पास थी। लाख मना करने पर भी कान्हा नहीं माना। उसे तो अपनी जिद मनवाने की आदत जो थी। हार कर क्या करते शादी करनी पड़ी। बहु भी लड़के से एक कदम आगे ही थी। अपने मन का करती । इतना पैसा देखकर उसकी आंखें ही चौंधिया गई। हर समय उसकी नई नई फरमाइश रहतीं। खुद कुछ नही कहती पर बात2 में लड़ने के लिए बेटे को आगे कर देती । पिता का व्यापार भी अब कम चल पा रहा था । ऑन लाइन वाज़ार भी इसकी वजह था। । ऊपर से बेटे की आवारागर्दी। धीरे2 सब खत्म हो गया। एक दिन सदमे से पिता की भी मृत्यु हो गई। कुमुद बेचारी का बुरा हाल हो गया। वो बस घर की नौकरानी बनकर रह गई। उधर बीना का पति का बिज़नेस बढ़िया चल रहा था । बेटी भी खुश थी। दामाद जी भी उनका बहुत खयाल रखते थे। जरा सी तकलीफ पर भी दौड़े चले आते थे। आज स्तिथि बिल्कुल उल्टी थी। कुमुद देखती तो रोकर रह जाती। सोचती थी काश ….उसके भी बेटी पैदा होती । और बीना कान्हा को देखकर सोचती अच्छा हुआ ऐसा बेटा पैदा नहीं हुआ .. ……..

05-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 325 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
अंधेरे का रिसाव
अंधेरे का रिसाव
Kshma Urmila
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
DrLakshman Jha Parimal
3307.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3307.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
लक्ष्य
लक्ष्य
Mukta Rashmi
*पीड़ा ही संसार की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है*
*पीड़ा ही संसार की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है*
Ravi Prakash
आनंद और शांति केवल वर्तमान में ही संभव है, दुःख केवल अतीत मे
आनंद और शांति केवल वर्तमान में ही संभव है, दुःख केवल अतीत मे
Ravikesh Jha
बात पते की कहती नानी।
बात पते की कहती नानी।
Vedha Singh
कसम, कसम, हाँ तेरी कसम
कसम, कसम, हाँ तेरी कसम
gurudeenverma198
*
*"बसंत पंचमी"*
Shashi kala vyas
ये दुनिया बाजार है
ये दुनिया बाजार है
नेताम आर सी
ग़ज़ल _ यूँ नज़र से तुम हमको 🌹
ग़ज़ल _ यूँ नज़र से तुम हमको 🌹
Neelofar Khan
किसी ने आंखें बंद की,
किसी ने आंखें बंद की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बंदर मामा
बंदर मामा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यदि केवल बातों से वास्ता होता तो
यदि केवल बातों से वास्ता होता तो
Keshav kishor Kumar
अब ये ना पूछना कि,
अब ये ना पूछना कि,
शेखर सिंह
नारी और चुप्पी
नारी और चुप्पी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*जिंदगी के अनोखे रंग*
*जिंदगी के अनोखे रंग*
Harminder Kaur
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
Manisha Manjari
दौलत
दौलत
Neeraj Agarwal
हम बैठे हैं
हम बैठे हैं
हिमांशु Kulshrestha
"फिर"
Dr. Kishan tandon kranti
मां
मां
Lovi Mishra
किसने कहा पराई होती है बेटियां
किसने कहा पराई होती है बेटियां
Radheshyam Khatik
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*प्रणय*
कड़वा है मगर सच है
कड़वा है मगर सच है
Adha Deshwal
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
पूर्वार्थ
कली कचनार सुनर, लागे लु बबुनी
कली कचनार सुनर, लागे लु बबुनी
Er.Navaneet R Shandily
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
हिटलर ने भी माना सुभाष को महान
कवि रमेशराज
मोदी का अर्थ महंगाई है ।
मोदी का अर्थ महंगाई है ।
Rj Anand Prajapati
मस्ती का माहौल है,
मस्ती का माहौल है,
sushil sarna
Loading...