Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Feb 2024 · 1 min read

काश!

लिख पाता मैं भी कोई कविता।
कह लेता इक कागज़ से कुछ भाव भरे शब्द,
उड़ेंल देता कम से कम आँसू की एक बूंद तो।
गीले कागज़ को चार तहों में कर –
रख लेता अपनी शर्ट की जेब में।

लेकिन,
कौन लिख पाया है कविता आज तक?
जो बुद्ध बना वो कवि नहीं
और कवि! कभी बुद्ध नहीं बन पाया।
कटे सिर वाले सिपाही –
जली हुई दुल्हनें –
कुंठित लड़ते हुए लोग –
या अकेली माँ –
ऐसा ही कुछ कह पाता है कोई कवि!

ओ भावुक कवि!
जो तुमने लिखा उसे खुदने भी पढ़ा कभी?
हाँ! सुनाया ज़रूर होगा।

सोचो श्रोता!
क्या तुमने सुना कभी बुद्धत्व को कविता में?
जो कविता में हो बुद्धत्व,
तब मैं कविता क्यों लिखूं?
तुम भी क्यों सुनो?

Language: Hindi
158 Views

You may also like these posts

मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
मेला लगता तो है, मेल बढ़ाने के लिए,
Buddha Prakash
जड़ें
जड़ें
Dr. Kishan tandon kranti
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
वो समझते हैं नाज़ुक मिज़ाज है मेरे।
Phool gufran
🌹मैं कौन हूँ 🌹
🌹मैं कौन हूँ 🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
महँगाई
महँगाई
Shailendra Aseem
बख्श मुझको रहमत वो अंदाज मिल जाए
बख्श मुझको रहमत वो अंदाज मिल जाए
VINOD CHAUHAN
** शैलपुत्री **
** शैलपुत्री **
surenderpal vaidya
तिजारत
तिजारत
ओनिका सेतिया 'अनु '
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
The life of an ambivert is the toughest. You know why? I'll
Chaahat
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
Someday you'll look back and realize that you overcame all o
पूर्वार्थ
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे...
पल्लव से फूल जुड़ा हो जैसे...
शिवम "सहज"
😊😊
😊😊
*प्रणय*
जो असंभव है  वो बात कैसे लिखूँ
जो असंभव है वो बात कैसे लिखूँ
Dr Archana Gupta
पिछले पन्ने 5
पिछले पन्ने 5
Paras Nath Jha
गर्मी के दोहे
गर्मी के दोहे
राकेश पाठक कठारा
पात्रता
पात्रता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अधूरे सवाल
अधूरे सवाल
Shyam Sundar Subramanian
अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर।
अँखियाँ प्यासी हरि दर्शन को अब काहे की देर।
पंकज परिंदा
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
दिल में ज्यों ही झूठ की,गई खीचड़ी सीज .
दिल में ज्यों ही झूठ की,गई खीचड़ी सीज .
RAMESH SHARMA
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
*दृष्टि में बस गई, कैकई-मंथरा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अगर हो तुम सजग
अगर हो तुम सजग
Bimal Rajak
आलता-महावर
आलता-महावर
Pakhi Jain
वो गली का मुहाना,वो नुक्कड़ की दुकान
वो गली का मुहाना,वो नुक्कड़ की दुकान
पं अंजू पांडेय अश्रु
पंछी अब तुम कब लौटोगे?
पंछी अब तुम कब लौटोगे?
Dr. Sukriti Ghosh
3157.*पूर्णिका*
3157.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पास आकर मुझे अब लगालो गले ,
पास आकर मुझे अब लगालो गले ,
कृष्णकांत गुर्जर
माना कि हम सही तुम सही,
माना कि हम सही तुम सही,
श्याम सांवरा
इश्क़ लिखने पढ़ने में उलझ गया,
इश्क़ लिखने पढ़ने में उलझ गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...