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3 Nov 2022 · 1 min read

काश!

काश! तुम ले जाते …
अपने उस अंतिम मिलन के साथ
वो एक सोंधा सा दिन भी!
और तुम्हारी
भरी–भरी पलकों पर
रूकी–रूकी सी वो …
अधूरी रात भी …
काश !
शब्दों की अमावस्या
का भी अंत होता!

रश्मि लहर
लखनऊ उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
352 Views

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