काश!
काश! तुम ले जाते …
अपने उस अंतिम मिलन के साथ
वो एक सोंधा सा दिन भी!
और तुम्हारी
भरी–भरी पलकों पर
रूकी–रूकी सी वो …
अधूरी रात भी …
काश !
शब्दों की अमावस्या
का भी अंत होता!
रश्मि लहर
लखनऊ उत्तर प्रदेश
काश! तुम ले जाते …
अपने उस अंतिम मिलन के साथ
वो एक सोंधा सा दिन भी!
और तुम्हारी
भरी–भरी पलकों पर
रूकी–रूकी सी वो …
अधूरी रात भी …
काश !
शब्दों की अमावस्या
का भी अंत होता!
रश्मि लहर
लखनऊ उत्तर प्रदेश