काश
जो कुछ भी मैं चाहती, हो जाता वह काश।
पंख लगा कर विहग सी, उड़ जाती आकाश।।१
काश हमारे स्वप्न सब, हो जाते साकार।
धीरे धीरे ही सही, ले लेता आकार।।२
काश अगर ये जिंदगी, होती एक किताब।
दुख के पन्ने फाड़ कर, करती नहीं हिसाब।।३
काश समझ पाते सभी, जीवन का यह सत्य।
राजा हो या रंक हो, एक सभी का गत्य।।४
जीवन में होता नहीं,कभी किसी को काश।
फिर मैं भी बनती नहीं, ऐसे जिन्दा लाश।।५
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली