काश हम तुम……..
काश हम-तुम…….
// दिनेश एल० “जैहिंद”
2122 1212 22
काश हम तुम मिले नहीं होते,,
फूल अपने खिले नहीं होते ।।
आँख जो ये लड़ी नहीं होती,,
ख्वाब के सिलसिले नहीं होते ।।
गर डरे जो ना होते दुनिया से,,
कर के वादा हिले नहीं होते ।।
गम उठाने हमें नहीं पड़ते,,
जो यहाँ जलजले नहीं होते ।।
हर तरफ ही खुशी यहाँ होती,,
जाति के फासले नहीं होते ।।
गर कहीं छल-कपट नहीं रहते,,
इतने शिकवे गिले नहीं होते ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
27. 02. 2018