काश वो होते मेरे अंगना में
काश वो होते मेरे अंगना में,
होठों की प्यास बुझ जाती
फूलों में भौरे की तरह
इधर उधर मैं चूमती
हर फूल में तेरी सूरत नजर आती
मस्ती में मैं भूल जाती
बार-बार मुझे पिछली बातें याद आती
विवशता ने मुझे चारों ओर से घेरा
जीवन में बस भरा है अंधेरा
काश वो होते मेरे अंगना में
होठों की प्यास बुझ जाती
मैं भूल जाती अपनी कहानी
कैसे भुलाऊ कहानी
जीवन समस्याओं का जाल है
मानव तो उस जाल में फंसा एक पक्षी है
मानव जाल से निकलना चाहता है
आशा और निराशा के सहारे जीता है
काश वो होते मेरे अंगना में,
होठों की प्यास बुझ जाती
उनके आने से मुझमें रोशनी आती है
अंजुम उनके जाने से मेरी रोशनी जाती है
बार-बार बस तुम्हारी यादों का संसार
मुझे जीने को विवश करता है
काश वो होते मेरे अंगना में,
होठों की प्यास बुझ जाती
नाम-मनमोहन लाल गुप्ता
पता-मोहल्ला जाब्तागंज, नजीबाबाद, जिला बिजनौर 246763, यूपी
मोबाइल नंबर-9152859828