“काश” (विवेक बिजनोरी)
“काश कोई जुल्फों से पानी झटक के जगाता,
काश कोई ऐसे हमको भी सताता
काश कोई बतियाता हमसे भी घंटो,
काश कोई होता जो तन्हाई मिटाता”
काश कोई जुल्फों से पानी झटक के जगाता
काश कभी कोई मेरी भी राह तकता,
काश कोई मेरे लिए भी उपवास रखता
काश कोई मेरे लिए अपनी पलकें भिगाता,
काश कोई मेरे सारे नखरे उठाता
काश कोई जुल्फों से पानी झटक के जगाता
राज ए दिल अपने मुझको बताता,
काश कोई मुझको भी अपना बनाता
काश कोई भरता मेरी नींदों में सपने,
काश कोई मुझको भी जीना सिखाता
काश कोई जुल्फों से पानी झटक के जगाता
(विवेक बिजनोरी)