Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2018 · 1 min read

काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त

काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त
सम्मान मुझे भी दिया जाता
मुझ अबला नारी,लड़की की
इज़्ज़त का यूं मूर्त के आगे
ना तार तार किया जाता
मैं भी होती पत्थर को मूर्त
मुझे भगवान कहा जाता
चार दीवारी के कमरे में
मुझे स्थान दिया जाता
पूजते मुझे भी देवी समझकर
सबकी आस्था का प्रतीक बन जाती
काश होती पत्थर की मूर्त
मुझे सम्मान दिया जाता
मैं होती पत्थर की मूर्त
सुर्खिया अख़बार की नही बन पाती
रोज़ सरे आम गली मौहल्ले में
इज़्ज़त नही उतारी जाती
काश मैं होती पत्थर की मूर्त
माँ मैं भी कहलाती
काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त
मूक दर्शक मैं भी बन जाती
पत्थर की मूर्ती के आगे
मेरी इज़्ज़त यूं ना उतारी जाती
गली के हर कोनों में मंदिर बनता
आरती मेरी उतारी जाती ।
बन गयी हूँ ज़िंदा लाश
काश मैं भी पत्थर को मूर्त बन पाती

Language: Hindi
1 Like · 256 Views

You may also like these posts

कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
कुछ लोगों का प्यार जिस्म की जरुरत से कहीं ऊपर होता है...!!
Ravi Betulwala
बेटियाँ
बेटियाँ
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
मुझे आरज़ू नहीं मशहूर होने की
Indu Singh
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
Priya princess panwar
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
पूर्वार्थ
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्तर भी है तो प्यार की कोई उमर नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
अच्छा लगना
अच्छा लगना
Madhu Shah
- उसकी आंखों का सम्मोहन -
- उसकी आंखों का सम्मोहन -
bharat gehlot
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां
स्वयं के परिचय की कुछ पंक्तियां
Abhishek Soni
** सपने सजाना सीख ले **
** सपने सजाना सीख ले **
surenderpal vaidya
कब आयेंगे दिन
कब आयेंगे दिन
Sudhir srivastava
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
तमन्ना थी मैं कोई कहानी बन जाऊॅ॑
VINOD CHAUHAN
*हुस्न से विदाई*
*हुस्न से विदाई*
Dushyant Kumar
नानी का घर
नानी का घर
उमेश बैरवा
2750. *पूर्णिका*
2750. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
रोज़ दरवाज़े खटखटाती है मेरी तन्हाइयां,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मजबूर रंग
मजबूर रंग
Dr MusafiR BaithA
छोड़ जाते नही पास आते अगर
छोड़ जाते नही पास आते अगर
कृष्णकांत गुर्जर
सवाल ये नहीं
सवाल ये नहीं
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ते
रिश्ते
Vandna Thakur
😊अनुभूति😊
😊अनुभूति😊
*प्रणय*
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
किसी भी व्यक्ति के अंदर वैसे ही प्रतिभाओं का जन्म होता है जै
Rj Anand Prajapati
नवरात्र के नौ दिन
नवरात्र के नौ दिन
Chitra Bisht
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
प्रेम महज
प्रेम महज
हिमांशु Kulshrestha
मेरी तृष्णा
मेरी तृष्णा
Seema Verma
*असीमित सिंधु है लेकिन, भरा जल से बहुत खारा (हिंदी गजल)*
*असीमित सिंधु है लेकिन, भरा जल से बहुत खारा (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
साँझे चूल्हों के नहीं ,
साँझे चूल्हों के नहीं ,
sushil sarna
Loading...