काश मैं पत्थर होता.
काश मैं पत्थर होता..
देखकर अपनी लाचारी यू
घुट घुट कर मैं ना रोता.
काश मैं पत्थर होता…
ना होती चिंता, ना होता डर.
भूख का यह दर्दनाक मंजर ना होता.
काश मैं पत्थर होता….
ना दौड़ता बचपन सड़कों पर.
पैरों में छालों का घाव ना होता,
काश मैं पत्थर होता..
ना होता डर भूख का
यूं चिंता में मैं ना सोता.
काश में पत्थर होता…
यू देख बचपन की लाचारी.
ढेरों ख्वाब अपने दिल में ना संजोता..
काश मैं पत्थर होता… काश मैं पत्थर होता..
मूल रचनाकार. पप्पू कुमार( सेठी).