काश मेरे भी एक बेटी होती
ए काश मेरे भी
एक प्यारी सी बेटी होती
परियों से उसे सजाती
दो प्यारी सी
चोटी तेरी बनाती
सुंदर सपनो की दुनियॉ में
मैं अक्सर खो जाती
खूब सारी बाते
हम दोनों करते
एक जैसी ड्रेस
पहन के सेल्फी लेते
जब भी खुद को
तन्हा महसूस करती
गले तुझे लगा लेती
मेरी परछाई जैसी
तू मेरे साथ होती
कितनी नटखट,
कित्ती प्यारी
तू मेरी जान होती
काश मेरे भी
एक प्यारी सी
गुड़िया होती
खेलती तेरे साथ
गुड़ियों वाला खेल
सजाती खुद को
और तुझ को भी
बचाती तुझे दुनियॉ
की बुरी नजरो से
खुद से ज्यादा
मजबूत तुझे बनाती
जब दिन आता
तेरी विदाई का
रो रो तुझे सीने
से लगाती
बेटी दर्द नही
सच्चा मीत है
ये दुनियॉ को
समझाती
ए काश मेरे भी
एक प्यारी सी
बेटी होती।।
✍संध्या(तृप्ती)