काश में शराबी होता
काश में शराबी होता।
कुछ भी कहने ओर करने की हिम्मत करता।
सुबह भटकता शाम को घर आता
मैं भी तो कुछ बेपरवाह होता।
जमाने भर की टेंसन भूल खुद के लिए जीता।
क्यों अच्छे आदमीकी ढोंग करता
मैं जो होता सो होता
न हम किसी के होते न कोई मेरा होता
न कोई मेरा परवाह करता
न मुझे किसी का होता।
मैं गाता चिल्लाता
न कोई रोकता
न मुझे कोई टोकता।
मेरा न कोई मस्जिद न कोई मन्दिर है।
मैखाने के राजा हम और सारी दुनिया फकीर है।
सारे जहाँ में एक दूजे से तकरीर है।
मैखाने में न सरहद न कोई लकीर है।
राजवीर शर्मा