काश मुझे तुम दे जाते
मै पड़ी जब बिस्तर पर,
तप रहा बदन, था चढ़ा बुखार।
काश मुझे तुम दे जाते,
थोड़ा अपना प्यार दुलार।
चाय बना कर मुझे पिलाते,
और हालचाल लेते बार बार,
काश मुझे तुम दे जाते,
थोड़ा अपना प्यार दुलार।
जाते तुम बाजार तब,
लाते मेरे लिए दवाएं।
और ले आते साथ में कुछ,
ताजे फल बिना मंगाए।
काट के देते फिर तुम मुझको,
सेब संतरा और अनार।
काश मुझे तुम दे जाते,
थोड़ा अपना प्यार दुलार।
निकाल कर देते मुझको,
मुसम्मी का मीठा जूस।
रखते हरपल ख्याल मेरा,
करते कुछ ख़ास महसूस।
सह जाती तब फिर मै,
किसी भी बीमारी का वार।
काश मुझे तुम दे जाते,
थोड़ा अपना प्यार दुलार।
प्रदीप कुमार गुप्ता
२८-०७-२०२४