#काश मुझसे ना मिलते तुम
#काश मुझसे ना मिलते तुम
यूँ कहने को तो मुहब्बत सबकुछ होता है लेकिन कहने से कोई बात मुकम्मल कहाँ हो जाती है? तुमसे इज़हार-ओ-प्यार के बावज़ूद ऐसा बहुत कुछ था जो रह गया.. मैं तुमसे कभी खुलकर बता ही नहीं पाया- मुझे तुमसे कितना प्यार है.. तुम मेरे लिये कितनी अज़ीज़ हो.. तुम्हारे बिना मुझे सिर्फ़ मरना आता है लेकिन मैं तुमसे कभी ये कह ही नहीं पाया.. शायद ये इक डर ही था मेरे अंदर जो मुझसे मेरी ज़ुबान छीन लेता था। मुझे ये कहने में कोई हर्ज़ नहीं कि इक लड़की को उसी के साथ जीना चाहिए जो उसकी ज़रूरतें पूरी करता हो ना कि उसके साथ जो महज़ मुहब्बत में उलझा हुआ हो। मैं भी तुम्हारे क़ाबिल कभी नहीं हो पाया.. तुम्हारी किसी ख़ुशी में कोई फूल ख़रीदकर बरसा नहीं पाया। मेरे अंदर इस बात की कसक है और ये शायद हमेशा रहेगी कि मैंने अपनी मुहब्बत में तुमको कभी कोई ख़ुशी नहीं दी बस इक उम्मीद दी कि तुम्हें हमेशा ख़ुश रखूँगा।
सिर्फ़ इस भरोसे कि एक दिन मैं सबकुछ अच्छा कर लूँगा.. तुम हर रोज़ किसी ना किसी कमी में पलती रहो.. ये कहाँ तक मुनासिब है? मुहब्बत, मुहब्बत ही रहे तो अच्छा है.. मुहब्बत की रूस्वाई अकसर ही जुदाई लेकर आती है.. और सच कहूँ तो मैं तुमसे जुदा हो जाने से डरता हूँ। मुझे नहीं पता मैंने तुमसे वादे किस बिनाह पर किये थे लेकिन क़सम ख़ुदा की वो तमाम वादे सच्चे थे मेरे.. मैंने ना तुमसे कभी कोई झूठी बात की और ना ही कोई दिल्लगी.. तुमसे आज तक जो भी किया वो सब अपनी मुहब्बत में किया लेकिन मैं बहुत छोटा आदमी हूँ.. इतना छोटा जो तुम्हारी इक ज़रूरियात तुमको अदा नहीं कर सकता। ये मेरी मुहब्बत किस काम की है जो तुम्हें इक ख़ुशी तक नहीं दे पाती.. आख़िर कब तक तुम अपना मन मारोगी और कब तक मैं अपनी नाकामयाबी से तुमको सिर्फ़ और सिर्फ़ उदास ही करता रहूँगा? मैं चाहता हूँ तुम हमेशा ख़ुश रहो.. तुम्हें मेरी कोई नज़र ना लगे।
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