काश, धर्मनगरी में कोई धर्मवीर होता। धिक्कार संवेदनाहीन शिखण् काश, धर्मनगरी में कोई धर्मवीर होता। धिक्कार संवेदनाहीन शिखण्डियों को, जो मूक-दर्शक बने रहे।।