काश तुम
आखों की खामोशी को
काश तुम लबों से कह पाते
दिल की बात को
शब्दों से बया कर पाते
काश तुम
ये जिंदगी यू ही गुजर रही है मेरी
दर्द को जाम बनाकर पी पाते
काश तुम
जो आज तेरे कंधे पे सर रखके रो पाते
हम सोचते रहे और तुम
अरमानों के टूटे शीशे संभालते रहे
काश तुम
एक आइने में
हम अपना अक्स देख पाते
काश तुम वो आइना बन पाते
काश तुम
मांगी मेरी मुरादें खाली रह गई
चहरे से हसी जाती रही
खुशियां हमारी एक हो पाती
काश तुम
आखों की खामोशी को
काश तुम लबों से कह पाते