काश तुम समझ पाते
सादर प्रेषित
मेरी अदृश्य डायरी से एक पृष्ठ…….
काश! तुम समझ पाते मेरे दिल के हालात् !
कैसे कहूँ? शब्द निशब्द हुए जाते हैं………………कहने को……………… ॥
काश!!!तुम समझ पाते कि जब चुना था तुम्हें, तो अटूट विश्वास था तुमपे, हालांकि सामने होते हुए भी घबराहट और सकुचाहट की वजह से चेहरा नहीं देख पाई थी तुम्हारा, सिर्फ बाज़ू का कफ ही देख रही थी।सबको अच्छा जँचे थे तुम।जब तुमसे फोन पर बात हुई थी तब तुम्हारी आवाज़ किसी फिल्मी हीरो की तरह बहुत पसंद आई थी मुझे, एक खनक सी थी तुम्हारी आवाज़ में।तुम्हारी और तुम्हारी भाबी की बातें भाने लगी थी मुझे, बहुत सपने जो दिखा दिए थे तुम दोनों ने मुझे, कितनी आस लगाए बैठी थी मैं, अगर चींटी भी पास से निकलती तो तुम दोनों की बड़ाई करते नहीं थकती थी मैं।तुमने भी तो कहा था कि हम पति पत्नी के रिश्ते से पहले अच्छे मित्र होंगे मगर…..! सब धोखा ही तो था,तुम्हारे परिवार का मेरे परिवार से, हाँ बुद्धि नहीं थी मुझमें जो तुम्हारे परिवार के खिलाफ आवाज़ नहीं उठा पाई और तुम्हारे कहने पर सबको बर्दाश्त करती रही ये सोचकर कि तुम मेरे साथ हो, पर तुम तो कहीं और ही व्यस्त थे, अपना जीवन जी रहे थे।काश! तुम समझ पाते क्या गुज़रती थी मुझ पर,सुना था 12 वर्ष में तो कूड़े के भाग्य भी जाग जाते हैं शायद मेरी किस्मत उससे भी बद्तर थी,उस पर भी तुम लोगों ने मुझे घर से निकालना चाहा, और मुझे अकेला छोड़कर अपनी माँ के अहम एवं झूठ को संतुष्ट करने चले गए।काश, तुम समझ पाते तुम्हारी दो ज़िम्मेदारियों के साथ वो समय कैसे निकाला था मैंने, पापा के साथ जाने से मना कर दिया मैंने।हर पल चिता सी जलती थी मैं, तुम्हारी हरकतों के जवाब मंदिर की मूरतों से पूछती थी मैं, मेरे अंतर्मन में किसी ज्वालामुखी सी द्वंद और वेदना को काश! तुम समझ पाते मेरे माता-पिता,भाई- बहनों पर क्या गुज़री होगी, हमारे 7 साल के बेटे की क्या मनःस्थिति रही होगी, जो भाई छोटे छोटे थे हमारी शादी में वो मेरे कंधे बनकर खड़े हुए थे, मेरी बहन संयुक्त परिवार में रहते हुए भी मेरी ताकत थी, क्या गुज़री होगी मुझपर जब पड़ोसी तुम्हारे बारे में पूछते थे, आखिर तुम लौटे पर झूठे अहम के साथ। काश तुम समझ पाते कि तुमने तो अपनी ज़िंदगी का हर पल जी भर के जिया और मैं आज21 वर्ष पश्चात भी यही सोचकर ग़म के घूंट पीती रहती हूँ कि काश!!! तुम समझ पाते कि मेरे भी कुछ सपनें हैं।काश!!!! ये काश शब्द न होता काश तुम समझ पाते…………!!!
नीलम शर्मा…….✍️