” काश कोई होती “
दिल कभी कभी यू सोचता है,
काश कोई होती………………
जिसकी गली से हम जाते,
वो छज्जे से देखती, हमे मुश्कूराते,
काश कोई होती………………
जो हर शाम छत पर मेरा इंतजार करती,
मैं मरता और वो नज़रो से वार करती,
काश कोई होती……………….
उसकी हर अदा पे “साहिब” शेर कहता,
वो इन बाहो में हमेशा ही रहती,
काश कोई होती………………..