काश के जिंदगी में कुछ
काश के जिंदगी में कुछ खुशी, मयस्सर हो जाये।
दुश्वारियां बड़ी बेचैन करती हैं ,इनका ट्रांसफर हो जाये।
कर सकती है कुछ रहम मुझपर तो करदे ऐ जिंदगी,
गर कह दे तूँ तो आज ही ,हम अपने दर से बदर हो जाये।
विश्वास टूटा भरोसा है उलझा।
यकीं किसपे हो ये किस्सा न सुलझा।
काश के मुझपर किसी के ,भरोसे का असर हो जाये।
काश के जिंदगी में कुछ खुशी, मयस्सर हो जाये।
वैसे तो मैंने जिंदगी में बहुत ख्वाब पाले।
जो बन गए कथित अपनो के निवाले।
दुआ सलाम का बस अब कोर्रम बचा है,
सब हैं पराये कौन मुझको सम्भाले।
काश के मेरा अपना सारा शहर हो जाये।
काश के जिंदगी में कुछ खुशी, मयस्सर हो जाये।
-सिद्धार्थ पांडेय