अगर कभी सूरज बन जाती
अगर कभी सूरज बन जाती
मैं लाती किरणों की पाती
या बन जाती चाँद सलोना
और बिछाती श्वेत बिछोना
झिलमिल झिलमिल तारे बनती
या जुगनू सी ख़ूब चमकती
कभी मेघ बन नभ में छाती
रिमझिम रिमझिम जल बरसाती
नदी ताल बन सर-सर बहती
कभी परिंदों जैसे उड़ती
आसमान बन कर इठलाती
धरती माँ को छाँव उड़ाती
काश देखती जो भी सपना
वो मेरा हो जाता अपना
13-07-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद