काश ऐसा हो कि हम अपने आप से हमेशा प्यार करें
जी हां पाठको एक बार फिर हाजिर हूं अपने कुछ महत्वपूर्ण विचारों को लेकर इस लेख के माध्यम से, आशा है कि आप जरूर सहमत होंगे ।
जी हां, अक्सर यह देखने में आ रहा है कि हमारे देश में कई ऐसी बीमारियां व्याप्त हैं, जिनकी शिकार केवल महिलाएं ही होती हैं, जैसे ब्रेस्ट कैंसर या सरवाइकल कैंसर, लेकिन इसके अतिरिक्त एक बीमारी और भी देखी गई है, और वो भी सबसे ज्यादा महिलाओं में ही पाई जाती है । उस बीमारी का नाम है –एनोरेक्सिया । यह एक किस्म का इंटिग डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति इस डर से खाना-पीना छोड़ देता है कि कहीं वो मोटा न हो जाए, “और यह आदत ज्यादातर महिलाओं में ही देखी जाती है” ……..काश ऐसा होता कि महिलाए ऐसा ना सोचे तो इस तरह की बीमारियों से ग्रसित होने से वे बच सकती हैं । पूरी दुनियां में 0.3 प्रतिशत पुरूष इस बीमारी के शिकार हैं, जबकि 13 फीसदी महिलाएं इस बीमारी की शिकार हैं ।
दो साल पहले इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंटिंग डिसऑर्डर ने एक सर्वे किया और उसमें यह पाया गया कि 60 फीसदी से ज्यादा माड़ल इस बीमारी की शिकार हैं और उनका वजन एक स्वस्थ शरीर के मानकों के हिसाब से बहुत कम है ।
कुछ समय पहले आईआईटी की एक विद्यार्थी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । वह मोटी थी और अपने मोटापे को लेकर शर्मिंदा भी । उसे लगता था कि उसका गणित विषय में सौ में से सौ नंबर लाना और देश की सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी में एड़मिशन पाना बेईमानी है, क्योंकि मोटे होने की वजह से उसे कोई प्यार नहीं करता । काश कि ऐसी सोच हमारी बेटियां अपने दिमाग में पनपने ना दें ।
अपने आसपास हमें ढेरों ऐसी बेटियां मिल जाएंगी, जो खाने से ज्यादा खाने की कैलोरी गिना करतीं हैं । हर वक्त वे इस चिंता से ग्रसित रहती हैं कि वे कहीं ज्यादा खाने से मोटी ना हो जाएं । जो ज्यादा पतली हैं, वे इस हीनभावना से ग्रस्त हैं कि वे मोटी क्यों नहीं हो रहीं ? और जो मोटी हैं, वे अपने मोटापे से शर्मिंदा हैं, शरीर के आकार को लेकर चिंतित हैं, अपनी चमड़ी के रंग पर शर्मिंदा हैं और यही अवसाद की जड़ आदतों में परिवर्तित हो जाती हैं, जो आगे जाकर स्वास्थ्य के लिये अहितकर साबित होती हैं । सबसे बड़ी बात यह है कि ये शर्मिंदगी पुरूषों को उतनी नहीं है, जितनी महिलाओं को हैं,……..काश ऐसा होता कि महिलाओं की सोच भी पुरूषों की तरह ही होती तो कितना फायदा होता उनके स्वास्थ्य के लिए ।
पुरूष अपनी बढ़ी हुई तोंद के लिए शर्मिंदा नहीं, लेकिन महिलाएं हैं । महिलाएं शर्मिंदा ज्यादा हैं, क्योंकि टी.वी., सिनेमा, और ब्यूटी प्रोड़क्ट के विज्ञापन तक सब रात-दिन महिला को उस शर्मिंदगी कराते रहते हैं । सब जगह यही प्रसारित होता है कि एक सुंदर महिला किस खास साईज या आकार की होती है और हमें बताया जा रहा है कि एक महिला का आदर्श कैसा होना चाहिए, काश ऐसा होता कि इस तरह के विज्ञापन मीडि़या के माध्यमों से प्रसारित ना किये जाएं तो अच्छा हो । मेरे मत से कम से कम महिलाएं ज्ञान-विज्ञान की बातों में अपना दिमाग लगाएं तो यह उनके एवं परिवार के लिए लाभदायी होगा ।
आश्चर्य नहीं कि भारत देश में फिटनेस व्यवसाय 6 हजार करोड़ से ज्यादा का हो चुका है । मेरा यह सब बताने का यह मकसद नहीं है कि मोटापा बहुत अच्छी चीज है या महिलाओं को अपने शरीर एवं स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखना चाहिए …….काश ऐसा हो कि वे अपने शरीर एवं स्वास्थ्य का ध्यान बेशक रखें “राेज दौड़ लगाएं, योग करें, इन सभी चिंताओं का त्याग करें, जो भी पसंद हों सब खाएं और साथ ही अपने शौक भी पूरे करें ” ।
काश ऐसा हो कि ……….. हमें अपने शरीर से हमेशा प्यार करना चाहिए, लेकिन हर उस विचार को खारिज भी करना चाहिए, जो बताए कि मोटी महिला या बेटी सुदर नहीं होती, या पतला होना ही सुंदरता है और मोटापा बदसूरती की निशानी, या मोटी बेटियां प्यार किए जाने के लायक नहीं होती, यह सब बातें दिमाग से त्याग देना चाहिए ।
अंत में पाठकों यही कहना चाहूंगी कि यह सब फितुर उस दुनियां का ही फैलाया हुआ झूठ है, जो महिलाओं को दिल-दिमाग से भरा संपूर्ण मनुष्य न मानकर उसे सिर्फ देह में रिड्यूस कर देना चाहते हों ।
काश ऐसा होता…….. हर महिला किसी भी बातों को सच ना मानकर यह समझ पाती कि “तुम सिर्फ देह नहीं हो, तुम बुद्धि हो, बल हो, विवेक हो, ज्ञान का भंडार हो,विचारों का प्रवाह हो “ । देह समाहित है तुममें, तुम देह में नहीं और फिर ये देह चाहे जैसी भी हो, जिस भी रंग-रूप, आकार-प्रकार की हो, हर देह सुंदर है, हर आकार सुंदर है, तुम जैसी भी हो, अपने आप में बहुत सुंदर हो । अगर यह बात भारत की हर महिला समझ ले ना तो हो सकता है, हर घर की और हमारे पूरे भारत की तस्वीर प्रगति की दिशा में चलती ही जाए, ऐसा मेरा पूर्ण रूप से दावा है ।
हां तो फिर पाठकों, कैसा लगा मेरा यह ब्लॉग, अपनी आख्या के माध्यम से बताइएगा जरूर । मुझे इंतजार रहेगा ।
धन्यवाद आपका ।