काश अपना भी कोई चाहने वाला होता।
काश अपना भी कोई चाहने वाला होता।
हम भी ना बिगड़ते कोई संभालने वाला होता।।1।।
हम भी किसी की दिली चाहत बन जाते।
अपना भी कोई हर ख़्वाब सजाने वाला होता।।2।।
यूं ना होते इतने गुमसुम तन्हा जिंदगी में।
काश हमको भी कोई एक हंसाने वाला होता।।3।।
हमें आदत ना लगती मयखाने जाने की।
गर कोई साकी आंखों से पिलाने वाला होता।।4।।
किसीके हमभी दिलके अरमां बन जाते।
काश दुआओं में कोई हमे मांगने वाला होता।।5।।
बेसुध ना पड़े रहते जिन्दगी की राहों में।
फूलो से महकते गर हमारा भी बागवां होता।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ