काशी की महिमा!
काशी की महिमा न्यारी,
यहां विराजें स्वयं त्रिपुरारी।
यहाँ की सुबह मन को भाए,
सांझ सलोनी संगीत सुनाए।
रुद्र की नगरी अति पावन है,
भाव यहाँ का मन भावन है।
साधु सन्यासी सब यहां रहते,
पाप संताप सब गंगा में बहते।
विश्वनाथ जी यहाँ के वासी,
देते सबको सद्गति अविनाशी।
प्राण यहाँ जो तजकर जाता है,
हर बंधन से वो मुक्ति पाता है।
यहां संकटमोचन वीर हनुमान,
यहाँ कालभैरव बाबा बलवान।
यहाँ दुर्गाकुंड में माता दरबार,
तुलसी मानस में जीवन सार।
सारनाथ में रहे गौतम ज्ञानी,
प्रेमचंद की यहाँ कथा कहानी।
तुलसीदास यहाँ रामचरित गाए,
कबीर ने यहाँ उपदेश सुनाए।
यहाँ की कचौड़ सब्जी भाए,
लौंगलत्ता देख जी ललचाए।
लस्सी यहाँ की मलाई वाली,
चाट समोसे से सजती थाली।
पान बनारस वाला मन भाए,
जो आए, बड़े शौक से खाए।
बनारसी साड़ी यहाँ की शान,
हस्तशिल्प की अद्भुत पहचान।
मस्ती में रहते यहाँ के वासी,
घट घट में बाबा अविनाशी।
मरघट में भी मिलें सन्यासी,
महाकाल की नगरी काशी।