काव्य संग्रह से
मुझे बहुत अच्छा लगता है
उसे कसकर पकड़ लेना
कभी होठों को चूम लेना
शर्माती हुई निगाहों को देख कर
उसकी सारी जरूरत को पढ़ लेना
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“इलाहाबाद मेरा इश्क अधूरा है” काव्य संग्रह से
…. ऋषि कुमार ‘प्रभाकर’