काव्य/व्यंग्य: नेताओं से यारों होता गदहा महान है ।
चंद नेताओं से यारों होता गदहा महान है ।
चंद पैसो के लिए बेचता नहीं अपना ईमान है ।
कौन कहता है हमारे देश में महंगाई बहुत है ।
चंद पैसों में बिकता यहां नेताओं का जमीर है ।
शाश्वत सत्य है कि लोकतंत्र में जनता होता महान है ।
पर सियासी लोगों के चालाकी से होता सब अनजान है ।
फूट डालो शासन करो, सबमें सक्रिय होती राजनीति है ।
समझो या ना समझो, यहीं भारत की बर्बादी, उनकी काली नीति है ।
आपस में मत कर लड़ाई, रक्तरंजित होती माँ भारती है ।
आपस में कर लड़ाई, सियासतदारों की होती खातेदारी है ।
जाति, धर्म, भाषा चाहे हो मजहब सबमें सक्रिय होती भागीदारी है ।
इसके फंसाने में अब नहीं है आना, यहीं तो हमारी जिम्मेदारी है ।
राजन कुमार साह “साहित्य”