काव्य धारा
2197.
💥अपना अपना दौर होता है 💥
22 22 212 22
अपना अपना दौर होता है ।
झूठ यहाँ सच और होता है ।।
दुनिया की बात अजब गजब सी।
आज गधे सिरमौर होता है ।।
बुनती रहती जिंदगी सपनें ।
अब प्यार कहाँ कौर होता है ।।
खिलते फूलों की महक काफी ।
कब चमन चमन गौर होता है ।।
वक्त देता आवाज खेदू सुन ।
सबका अपना ठौर होता है ।।
……….✍प्रो .खेदू भारती “सत्येश “