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13 Jan 2019 · 1 min read

काव्य का निर्माण

मेरे पास बस शब्द हैं अनेकार्थ,
थोड़ी कल्पना है,थोडा है यथार्थ।

लेकर सबसे थोड़े-थोड़े भाव उधार,
सजाता हूँ उन्हें देकर कुछ भावार्थ।

उपजती हैं कुछ पंक्तियाँ अनायास
रख लेता हूँ उनको मै विचारार्थ।

फिर बनाता हूँ वाक्यों की मीनार,
थोड़ी अर्थ पूर्ण,थोड़ी सी निरार्थ।

पूर्ण हो जाता है कोई काव्यपात्र,
थोडा आत्मीय,थोड़ा सा परमार्थ।

– अविकाव्य

Language: Hindi
523 Views
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