~~ काल ~~
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भयभीत सा तू क्यों बैठा है,
अब उठ और फिर कर विचार,
तू तुच्छ नहीं ये समझ ज़रा,
फैलाकर तन बन विशाल,
क्यों खोता तू अपना एहम,
ये जीवन तेरा है महान,
दिखा दे राह जगत को तू,
अब उठ, संभल, पकड़ मशाल,
ना दिन को देख, ना रात देख,
क्यों कर रहा फिर इंतज़ार,
मुसीबतें तब कुछ नहीं,
‘गर हौसला हो महान,
हार ना तू यूं हिम्मत को,
ना दिल में रख तू कोई मलाल,
कुछ ना बिगाड़ पायेगा तेरा,
कितना भी कठोर हो जाये काल .
◆◆©ऋषि सिंह “गूंज”