काल चक्र******
आज फिर हमने हवाओं को
वक्त के साथ बदलते देखा है
ये सिर्फ तुम्हारी बात नही
औरों को भी करते देखा है।
क्यों होउं मैं दुखी
और होउं शोकग्रस्त….
आज के दौर में
जब सब हुए स्वार्थी
तुमने भी तो अपना हित देखा है।
दोस्ती , ईमानदारी और वफ़ादारी….
सब लफ्ज़ हैं ये
शोभते सिर्फ किताबों में
हमने तो हर बार
इनका मज़ाक बनते देखा है।
पर मत भूलो …..
ये कालचक्र है
पहिया फिर से घूमेगा
अगर आज मुझे तो
कल तुम्हे भी
ये अवश्य अपना रंग दिखाएगा।।