काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
जीवित रहते हाल न पूंछा, तस्वीरों पर हार चढ़ाते हैं
मात – पिता को पानी न देते, भंडारे करवाते है
हक़ मारते भाई, बहन का, दानवीर कहलाते है
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
कितने त्याग हैं मात पिता के ,कभी नहीं दर्शाते हैं
अपनी क्षुधा सहन लेते , बच्चों को खिलाते हैं
निद्रा पूर्ति हेतु बच्चों की,अपनी रातें गँवाते हैं
आवश्यक हो जावे तो,कर्जा भी ले आते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
सभी संतानों को वो पालते, कभी नहीं घबराते है
मात पिता हमसे ना पलते, वो दुत्कारे जाते हैं
कुत्तों को घर में रखते हैं, आधुनिक बन जाते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं