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17 Jul 2022 · 1 min read

काल कलौती

कुंडलिया छंद…

काल कलौती खेलते, बच्चे अपने गाँव।
गर्म धरा से जल रहे, उनके नंगे पाँव।।
उनके नंगे पाँव, द्वार सबके वह जाते।
पानी दे दो मेघ, पंक्तियां दर- दर गाते।।
करते हैं विश्वास, निरर्थक नहीं मनौती।
‘राही’ बच्चे गाँव, खेलते काल कलौती।।

डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)

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