काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
इच्छा शक्ति के आँचल में, ज्ञान अर्थ भी चला गया
जिज्ञासा, प्रबुद्ध ज्ञान में, भक्ति भाव भी चला गया
मंडित श्रेय सार में, विरक्ति भाव भी चला गया
निष्ठुर सा बिखरे पुष्प अकंचित, निर्विवाद्य में चला गया
मानवता के पृष्ठ भाग में, संस्कृति साध्य भी चला गया
आकर अपने गंतव्य स्थल से, मन से करना प्रश्न
उचित प्रयास किया क्या मैं, जो हूं इतना निर्धन
सफल साधना फिर तुम करना, पुनः प्रयास अवतरित करना
नित्य निरंतर अभिव्यक्ति में, मनो भाव संचित करना