काले समय का सवेरा ।
सवेरे की चाह मे,
कहीं देर न हो जाए ।
समय का कहीं ,
सवेर ना हो जाए ,
वो रात नहीं दिन होगा ।
पल – पल लम्हें गुजारेगे ,
अधेरे मे ,अधेरी जीवन को ।
रोशनी मे उज्जवल कराएगें ,
वो रात नहीं दिन होगा ।
सपनों की याद में ,
बेचेनी की घात में ।
रात भी गुजारेगे ,
पलके नहीं झपकाएगे ।
सफलता की चाह में ,
रातों-रात गुजारेगे ।
वो इसान नहीं ,
एक दिन वह सफल निशाचर होगा ।
वो रात नहीं ,वो दिन होगा ।