” काले सफेद की कहानी “
” काले सफेद की कहानी ”
प्रकृति ने तो दिये हैं बहुत सारे रंग जगत को
हमने ही सब रंग का विभिन्न मतलब बनाया
हर रंग की अपनी अलग ही सुंदरता होती है
फिर क्यों हमने अच्छा बुरा सही गलत बनाया,
रंग हमें कभी नहीं बतलाते शुभ अशुभ क्या है
जैसा हमें लगा वैसा ही इनको भी बना दिया
कभी तो ये भी सोचते होंगे कि कहां फंस गए ?
स्वार्थ अपने के लिए हमें भला बुरा बना दिया,
शुभ काम है लाल कपडे पहन कर आओ जी
हर तरफ़ यही शोर हमको हमेशा सुनाई दिया
लिखा जा रहा था लग्न जिस दिन पूनिया का
काली पैंट नहीं पहननी ये फरमान सुनाया गया,
क्यों नहीं पहनूं पूछा जब तो सकपकाई दादी
दूल्हा काले कोट पैंट में लेकिन खूब इतरा रहा
गठ जोड़ा बंधेगा सफेद रंग के लबें कपड़े से
लहंगा दुल्हन को लाल रंग का पहनाया गया,
अंत होगा मानव का जब तो शव लपेटने को
अर्थी का कफ़न सफेद रंग का ही बनाया गया
दिनों के रंग अलग देवताओं के भी बना लिए
अपने हिसाब के रंग से झंडे को सजा लिया,
बिना रंग के दुनिया का नक्शा बदल जाएगा
हमने सब रंगो को अपनी मर्जी से जंचा लिया
युगों से सब रंग की अपनी अलग महता होती
मीनू ने तो सब रंगो को एक समान दर्जा दिया।