काले मेघा
काले मेघा नील गगन में, संग बिजुरी के छाए हैं
तपती धरती के आंगन में, राहत लेकर आए हैं
बूंद पड़ी ज्यों वसुंधरा पर
वैसे ही मन मचल गया
खेत और खलिहानों को
भी नव जीवन सा मिल गया
नाच उठे हैं मोर भी और, कोयल ने गीत सुनाए हैं
तपती धरती के आंगन में, राहत लेकर आए हैं
शीतल हवा के झौँकों संग
सौंधी सी खुशबू आई है
महक उठी सारी बगिया
ये तरिनी भी मुसकाई है
पिया मेरे परदेस क्या ये, उनका संदेशा लाए हैं
तपती धरती के आंगन में, राहत लेकर आए हैं
इंदु वर्मा, दिल्ली