काली भजन
काली माय के चरणमे,
हम सभके शरण भेटए।
दुख आ विपत्तिक हरण करब,
आशीर्वाद तोहरे भेटए।
काली तोर रूप अनेक,
सभ अन्हार दूर करैए
भक्तक हृदयमे बसिकऽ,
पग मे सभ बाधा हटैए।
महाकाली, महामाया,
त्रिभुवन आधार तोरेए।
असुरकेँ संहार कए कऽ,
हमरो उद्धार करैए।
जय हो जय काली ,
तोरे हे सहारे
तोरे चरणमे भेटैए,
मिटैए जग अन्हियारा।
—-श्रीहर्ष—-