काली घनी घनेरी रात
***** काली घनी घनेरी रात *****
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सितारों भरी घनी घनेरी काली रात,
एकांतवास में ऊंचे नीले व्योम तले,
सुंदर,शालीन शांत,शांति दूत सी,
मखमली चाँदी सी चाँदनी बखेरती,
प्रकृति की दुर्लभ अनमोल संरचना,
पूर्णिमा का पूर्ण गोल गोल बेजोड़,
चमकता हुआ चन्द्रमा बन कर प्रेरणा,
देता है जीवन में एक अनमोल सीख,
चमकते रहो जीवन में उसकी तरह,
हो शांत,शीत,निश्चल भूल कर अतीत,
बिना किए कोई परवाह, बन कर,
बेपरवाह, ठीक उसकी भांति सटीक,
उपलब्ध परिस्थितियों में होते हुए,
समायोजित और स्थिर स्तंभ सा,
प्रदान करता रात्रि मद्धिम प्रकाशपुंज,
और देता हुआ आमजन को संदेश,
जिस तरह वह कभी कट कट कर,
कटते हुए रह जाता,मात्र आस्तित्व में,
तनिक और तुच्छ सा,पर फिर भी,
बेफिक्र हो मंद मंद मुस्कराते हुए ,
मद्धिम दुधिया रोशनी में रहता,
चमकता है सदैव बन कर अटल,
और फिर समेकित कर संचित ऊर्जा,
बन कर ऊर्जावान ,धीरे धीरे,
बढते बढते बढता हुआ बढ जाता है
और विस्थापित होते हुए पुनः,
प्राप्त करता वही काया और आकार,
और फिर कठिन राह पर चलते हुए
प्रदान करता है पूर्ण प्रकाश का पुंज,
मंद मंद मद्धिम चाल सी शैली में,
मनसीरत बन कर चमकता है नभ में
पूर्णिमा पूनम का पूर्ण आकर्षक चाँद
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)