कालयवन
(१)
म्लेच्छ नरेश कालयवन, आया मथुरा द्वार ।
लेकर ईच्छा युद्ध की, लाया सेन अपार ।।
(२)
श्री कृष्ण रणछोड़ हुए, रखने शिव का मान ।
धर्म को बचाने चले, द्वापर के भगवान ।।
(३)
होकर मद में चूर वो, पकड़ने चला काल ।
लात मार मुचकुंद को, मर गया वो अकाल ।।
(४)
कालयवन के पाप से , भू का उतरा भार ।
स्वर्ग से बरसते सुमन, खूब हुई जयकार।।
(५)
अधर्मी के अधर्म का, होता निश्चय नाश ।
करले लाख प्रयत्न वो, रुकता न सर्वनाश ।।
।।।जेपीएल।।