कार्यपालक वो भी मुख्य
एक ऐसा सी.ई.ओ..
चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर
जो खुद तनख्वाह पर हो,
कंपनी को बंद के कगार पर लाकर खडे कर दे
जिसे अपने मजदूरों में उत्साह भरने की बजाय
उन्हें दो फाड कर बाँट दें.
उनके झगड़े से फायदे मालिक को गिनाए.
ओवरटाइम के नुकसान गिनवा दें,
सिक्योरिटी गार्ड के पद हटवा दें,
मालिक को क्या करना चाहिए,
यहाँ पर जनता मालिक है,
कंपनी एक देश है.
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बस ऐसे ही परिवार के सदस्यों की हालात जानने के इच्छुक संदर्भ में …
धर्म के प्रति आस्था बनाकर,
दूध से बाल्टी भरने की फिराक में एक मौकापरस्त.
देश में पूंजीवाद थोपकर
जनता पर सीधे नुकसान थोंप दें.
ऐसे में देशवासी
अनिंद्रा के शिकार,
कुंठित मानसिकता,
अवसादग्रस्त
हर भारतीय से उम्मीद अपेक्षित कहाँ.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस